मेरे इस ब्लॉग को आप मेरे कविता संग्रह के रूप में देखिये | मैं चाहता हूँ कि यदि कोई मेरी कविताएँ पढना चाहे तो उसे मेरी अधिकतर कविताएँ एक ही स्थान पर पढने को मिल जाएँ | आज के दौर में जब कि जल्दी-जल्दी कविता संग्रह का प्रकाशन संभव नहीं है, एक ऐसे प्रयास के ज़रिये अपने पाठकों तक पहुँचने की ये मेरी विनम्र कोशिश है | आप कविताओं के सदर्भ में अपनी प्रतिक्रिया से मुझे अवश्य अवगत कराएँगे | मुझे प्रतीक्षा रहेगी | कविताओं के साथ प्रयुक्त सभी पेंटिंग्स अजामिल की हैं |

Thursday 25 September 2014

बस कर डालो !
















सोचो मत,बस कर डालो
मै भी तो देखूं तुम्हारे मन के आंगन में
कोई फूल कैसे खिलता है...

ख़ामोशी के समुन्दर में
मन की कश्ती पर सवार होकर
हम कहीं भी जा सकते हैं...
बस तुम हाथ मत छोड़ना प्रिय...

इंटरनेटीय प्रेम डॉट कॉम

















वे फेसबुक पर मिले थे
कुछ दिन हाय- हलो के बाद चैटरूम में
प्रेमिल- प्रेमिल हुए
उन्होंने एक दुसरे को जल्दी ही यह बात
समझा दी क़ि सम्भोग से ही समाधि तक पहुंचा जा सकता है।
उन्होंने संबंधों की बात की
लेकिन शादी को पचड़ा ही मानते रहे प्रेमीजन
वाट्सएप पर वे खुले इतने खुले इतने खुले इतने खुले
क़ि एक दिन उन्हें एक- दुसरे से
डर लगने लगा...एक उब उनके बीच जगह
बनाने लगी...
उन्हें लगा क़ि कोई उनके निजी जीवन में
ताक़- झाँक कर रहा है
उन्होंने एक दिन बिना माफ़ी मांगे एक- दुसरे को
अन्फ्रेंड कर दिया
अब दोनों बेहद खुश थे और शांत भी...

इंटरनेट पर प्रेम का जीवन छोटा है
सर्वर डाउन होते ही प्रेम मर जाता है...
ज़रूरी हो जाती है
एक और फ्रेंड रिक्युस्ट।

आग को बचाना है













कविता में कविता बनकर
बिखर रही है कविता...
खनखना रही हैं चूड़ियाँ...
कोई अँगड़ाई ले रहा है
कोई करवट बदल रहा है
यादों के बिस्तर पर सलवटें
चुगली कर रही हैं
कोई ध्यान से सुन रहा है
उसकी खिलखिलाहट...
उसने दियासलाई की डिब्बी में
समेट लिया है खुद को
वह आग बन गई है...


आग को बचाना है ......

Wednesday 24 September 2014

सच बताना क्या तुम्हे मेरी याद नहीं आती ?














मै बुरी ,बहुत बुरी सही
बच्चों के लिए तो तुम
मेरे पास रह सकते थे...हमेशा...

जिस घर के कोने- कोने में
तुम्हारी खुशबू बसी हो,
जहां हम बेबात लड़े- झगड़े हों,
अबोला किये रहे हो कई- कई दिन तक...
जहां हम उस सच को खोजते रहे,
जो सच नहीं था
वहां तुम्हारे क़दमों की आहट सुनाई देती है

तुम्हारी चिड़िया
बहुत मीठा बोलती है
कमरे में चहकता है तुम्हारा क्लोन

1111 बहुत मिस करते हैं तुम्हे...
कोई कभी कहीं नहीं जाता
सब रहते हैं एक दुसरे के दिलों में
दुश्मन बनकर ही सही...
मैने खिड़की- दरवाज़े खोल दिए है
तुम कब आओगे
रौशनी बनकर...
सच बताना क्या तुम्हे
सचमुच मेरी याद नहीं आती ?

प्यार में जुआ


















तुम मेरी इन दो उँगलियों में से
किसी एक को छुओ
अभी तय हो जाएगा क़ि तुम
मुझे प्यार करते हो या नहीं...?

मैंने डरते-डरते उसकी एक ऊँगली छू ली...
अब उसकी आँखों में आसूं थे...
वह प्यार के जुए में
जीत गयी थी ...
शायद...