मेरे इस ब्लॉग को आप मेरे कविता संग्रह के रूप में देखिये | मैं चाहता हूँ कि यदि कोई मेरी कविताएँ पढना चाहे तो उसे मेरी अधिकतर कविताएँ एक ही स्थान पर पढने को मिल जाएँ | आज के दौर में जब कि जल्दी-जल्दी कविता संग्रह का प्रकाशन संभव नहीं है, एक ऐसे प्रयास के ज़रिये अपने पाठकों तक पहुँचने की ये मेरी विनम्र कोशिश है | आप कविताओं के सदर्भ में अपनी प्रतिक्रिया से मुझे अवश्य अवगत कराएँगे | मुझे प्रतीक्षा रहेगी | कविताओं के साथ प्रयुक्त सभी पेंटिंग्स अजामिल की हैं |

Friday 24 October 2014

परिंदे

















उड़ान पर हैं परिंदे ...

कांपती-ठिठुरती हवा की ताल-लय पर
परिंदे गा रहे हैं आज़ादी के गीत
क्या देस-क्या परदेस

जल की सतह से बूंद-बूंद पानी चुगते परिंदे-
एक कुल एक कुटुंब हैं पृथ्वी के
भूगोल को नापते हुए ।

कभी नष्ट नहीं होगा उनका संघर्ष
इच्छाओं के अनंत आकाश में
शब्दातीत हैं उनकी उड़ान
नदियों की अतल गहराई में प्रतिबिम्बित
होती है उनकी गूंज
मासूम पारदर्शी परिंदे लिखेगें-
उगते सूरज की कहानी
अँधेरा बरसने से पहले-दूर कहीं
अदृश्य में गायब हो जायेगे परिंदे
भोर में उनके लौटने की उम्मीद
तैरती रहेगी पानी पर-पूरी रात

घने कोहरे में कहाँ चले जाते हैं परिंदे ?
कोई नहीं जानता
जैसे कोई नहीं जानता कि
लंबी नींद में जाने के बाद
देह छोड़कर कहाँ चली जाती हैं आत्माएं
कोई नहीं जानता ।

उड़ान पर हैं देह परिंदे
जीवन की नाव पल-प्रतिपल
बढ रही है धीरे-धीरे
परिंदे चीख रहे है और
कोई ताकत उनके साथ खेल रही है
मन बहलाने वाला खेल ।

रिश्ते


















इस सच के साथ कि
रिश्ते परिंदों की तरह होते हैं-
उड़ान भरते हैं भरोसे के
खुले आकाश में

सुकोमल तितलियों की तरह
प्रेम पराग के दीवाने रिश्ते
मंडराते हैं एक फूल से दूसरे फूल के
आलिंगन के लिए

जल की तरह मर्मस्पर्शी
आकार खोजते आयतन हैं रिश्ते

हवा की तरह पारदर्शी होते हैं रिश्ते
हथेलियों की गर्माहट में
अंकुरित होते है रिश्ते
पल भर में कहा-अनकहा
कह देता है जैसे कोई
आँखों से आँखों में उतर जाते हैं
बस देखते-देखते.

रिश्ते उंगली पकड़ लेते हैं
तो सुरक्षित हो जाते हैं
बच्चो की तरह

प्यार से सींचे जाने पर
बीज़ से वृक्ष बन जाते हैं रिश्ते,
कब ? ये पता ही नहीं चलता

रिश्ते चूजों की तरह हैं
इन्हें हौले से पकड़ना
न छोड़ना, न दबाना
चाकू की धार से तो बहुत दूर रखना
रिश्तों को

कोई कितना भी करीब क्यों न हो
ब्रीदिंग स्पेस चाहिए हर रिश्ते को
अकाल मौत से बचाने के लिए.

अहंकार
काली आंधी -
एक ऐसा बवंडर
जो हर पल तोड़ता है .
भीतर का पवित्र मौन,


मन का मखमली कौशल ,

संवादों की समाधि पर
दुष्ट आत्माओं का नंगा नाच ,

पीछे से वार करने वाला
प्रेम का दुश्मन
झूठों का सरताज ,

बरगलाने वाली अंतहीन यात्रा ,
एक साजिश
खुद को खो देने की ,

ज़बान लड़ाने वाला बिगड़ा बच्चा,
खुशबू के बीच असहनीय दुर्गन्ध,

समुद्री तूफान में किनारा
खोजता जहाज़

एक धक्का जो गिरा देता है
सपनों का महल,

कंप्यूटर में छिप कर बैठा वाइरस

सार्थक फाइलों के विरुद्ध-
सॉफ्टवेयर के लिए खतरा

जीवन के इस महाभारत में
इस जानवर से बचने की
प्रार्थना करो पार्थ

शब्द –शब्द सच

























शब्द सन्यास नहीं लेते
शब्द समय प्रवाह के प्रतिनिधि होते हैं
शब्द सच होते है झूठ के खिलाफ
शब्द बचा लो तो बहुत कुछ बच जाता है
काली किताबों में

जब साथ छोड़ रही होती हैं चीजें
देह केचुल बदलने को बेताब होती है
ख़ामोशी की चादर ओढ़े
लोग इशारों इशारों में
अनुपस्थित का उपस्थित-दर्शन
खंगाल रहे होते है एक दूसरे के डरे-- सहमे
चेहरे को देखते हुए
शब्द तब भी साँस लेते है हमारे बीच
यकीन करो जब कुछ भी शेष नहीं होगा
शब्द होगें हमारी स्मृतियों की अपार
संपदा को सहेजे हुए,
शब्द कभी नहीं मरते शब्द सतत जीवन का अर्थपूर्ण संगीत है
शब्द हवा है -शब्द दवा है
शब्द शक्ति है शब्द प्रेम है शब्द भक्ति है
कोई भी अविष्कार शब्द से बड़ा नहीं

शब्द हाशिए पर है इन दिनों
और मैं सबसे ज्यादा परेशान हूँ
शब्दों को मुकम्मल करने के लिए
बार-बार हाशिए पर फेंक दिया जाना ही तो
सुबूत है शब्दों के जिन्दा होने का