मेरे इस ब्लॉग को आप मेरे कविता संग्रह के रूप में देखिये | मैं चाहता हूँ कि यदि कोई मेरी कविताएँ पढना चाहे तो उसे मेरी अधिकतर कविताएँ एक ही स्थान पर पढने को मिल जाएँ | आज के दौर में जब कि जल्दी-जल्दी कविता संग्रह का प्रकाशन संभव नहीं है, एक ऐसे प्रयास के ज़रिये अपने पाठकों तक पहुँचने की ये मेरी विनम्र कोशिश है | आप कविताओं के सदर्भ में अपनी प्रतिक्रिया से मुझे अवश्य अवगत कराएँगे | मुझे प्रतीक्षा रहेगी | कविताओं के साथ प्रयुक्त सभी पेंटिंग्स अजामिल की हैं |

Sunday 22 March 2015

रोटी एक कविता है





















मुझे एक ऐसी कविता की तलाश है
जिसे मैं रोटी में तब्दील कर सकूँ

मैंने पिता की ओर देखा
कमजोर छन्द की तरह टूट गये थे- उनके कन्धे
समय की गर्द में मैले हो गये थे वह, पूर-के-पूरे,
मैंने उनकी इच्छाओं की दराज़ से
रही-सही उम्मीद की धूप ले लिया
उनकी आँख बचाकर
मुझे कविता की पहली पंक्ति मिल गई

मैंने माँ की ओर देखा-
बलात्कार से स्वयं को बचाती, थकी-हाँफती
जिंदगी का अविकल अनुवाद हो गयी थी मेरी माँ,
मैंने उसकी जिंदगी के महाकाव्य से
एक दर्द भरा गीत ले लिया
मुझे कविता की दूसरी पंक्ति मिल गई

मैने बहन की ओर देखा-
मासूम सपनों की पीठ पर चाबुक बरसाये हों जैसे किसी ने,
ऋतु बदलने की अंतहीन प्रतीक्षा थी -
उसकी आँखों में,
मैंने पतझड़ की साँस मांग ली उससे,
मुझे कविता की तीसरी पंक्ति मिल गई

मैंने पत्नी की ओर देखा-
सदियों से सतायी जा रही औरत की जुबान पर
खट्टी इमली का स्वाद शेष था अभी,
मैंने असकी जीभ से स्वाद चुरा लिया
यह चौथी पंक्ति है कविता की।

रंग-बिरंगे बसंत से छा दो इस कविता को
परोस दो अय्याशों के सामने
आत्मरति के लिए

कविता बिक गई
घर में रोटी आयी
रोटी आयी-रोटी आयी
नहीं - एक कविता भूख की आँख में
सबने कहा - रोटी एक कविता है

1 comment:

  1. सबने कहा - रोटी एक कविता है.... मानवीय विवशताओं के बीच कविता का उदय... सम्बन्धों के बीच कविता का पलना.... आपकी सभी रचनाये अद्भुत हैं...

    ReplyDelete