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Tuesday 24 March 2015

ब्यूटी पार्लर




 खुश्बुओं के सागर में
डूब गई है आधी दुनिया....

शानदार सिंहासनों में
गहरे तक धंसी है -
खायी-अघायी, बेफिक्र-बेबात, हँसती-खिलखिलाती
औरतें - महारानियों की तरह

कहीं कोई डर नहीं मर्दों की आँखों का उन्हे
मुलायम तौलियों से ढ़की है
उनकी काया
बदले जा रहे हैं उनके चेहरे
आत्माएँ बदली जा रही हैं
त्यौरियां बदल रही हैं औरतें
मर्दों की दुनिया में मुकाबले के लिए
त्वचा बदल रही है
देह को सौंपी जा रही है ताज़गी
वे सँवर रही हैं-
मौसम में बसंत घोलने के लिए

नाक नक्श तीखे किये जा रहे हैं
भावी युद्ध की तैयारी में

मुस्कुराहट कायम रहे तकलीफों के बीच भी-
होंठों को दी जा रही है लालिमा
लिप ग्लॉस के साथ

अपनी ही उम्र से
लड़ रही हैं औरतें
बेदाग बनी रहने के लिए.
असलियत छुपायी जा रही है
नकली चंहरों के पीछे

लम्बे बालों के बवाल से
मुक्त हो रही हैं औरतें
कैंचियां ख़ूबसूरती से सेंसर कर रही हैं
उनकी इच्छाएं
कटीली आँखों को सिखायी जा रही है
चालाकियाँ
सौंदर्य प्रसाधनों की भीड़ में खोती जा रही हैं
औरतें

वातानुकूलित कमरे में
दयनीय चीख की तरह है
सजती-संवरती
औरतों की हँसी....
जैसे दम तोड़ती कोई कामना
जैसे कोई अनुष्ठानिक प्रार्थना
आज़ादी के लिए

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