मेरे इस ब्लॉग को आप मेरे कविता संग्रह के रूप में देखिये | मैं चाहता हूँ कि यदि कोई मेरी कविताएँ पढना चाहे तो उसे मेरी अधिकतर कविताएँ एक ही स्थान पर पढने को मिल जाएँ | आज के दौर में जब कि जल्दी-जल्दी कविता संग्रह का प्रकाशन संभव नहीं है, एक ऐसे प्रयास के ज़रिये अपने पाठकों तक पहुँचने की ये मेरी विनम्र कोशिश है | आप कविताओं के सदर्भ में अपनी प्रतिक्रिया से मुझे अवश्य अवगत कराएँगे | मुझे प्रतीक्षा रहेगी | कविताओं के साथ प्रयुक्त सभी पेंटिंग्स अजामिल की हैं |

Tuesday 24 March 2015

संवाद

























ध्यान से सुनो
संवाद कर रहा है गहन सन्नाटा

नंगे पैर-बिल्ली कर तरह
दबे पाँव- पत्तों को दुलराती दौड़ रही हैं
हारी थकी ठंडी हवाएँ

खिड़की के पार
कोई नदी पसरी है
दिव्यता की घाटी में

चट्टानों के बीच डोलती चाँदी की तरह
काँप रहा है चाँद
ध्यान से सुनो,
कहीं कुछ टूट रहा आत्मीय रिश्तों के बीच
और मैं अपनी डायरी में लिख रहा हूँ -
यूँ ही बस यूँ ही बीत गया एक उदास दिन

पानी ने काटे हैं पत्थर
सहलाया है जी भर
जैसे रचता है कोई मन
किसी मन को
बड़े मन से
मौन के संगीत में

सब कुछ सुन्दर हो जाता है
अंतस की सुन्दरता से

राह के पत्थरों को
जो सीढ़ियाँ बनाएँगे
याद रखो- सीढ़ियाँ चढ़कर भी वही जाएँगे

शुभ-सुन्दर और सुखद हैं चट्टानें
हस्ताक्षर करो इन पर

नहीं लिखना विरासत
अभी तो उड़ना है आकाश में
ऊँचे..... बहुत ऊँचे
चहचहाती चिड़ियों के साथ

No comments:

Post a Comment