कबाड़ में मिली सबसे ज्यादा
काम
की चीजें....
रफ्तः
रफ्तः इतिहास बनती
धूल
में सनी
वे
पारिवारिक चीजें हमारी स्मृतियों से खिसककर
कब
बाहर हो गयीं - पता ही न चला
कोई
ऐसे ही तो इतिहास बनता है -
जरुरतों
से लड़ता हुआ
कबाड़
में हमें मिली एक चारपाई - खस्ताहाल
डबलबैड
की हैसियत में आने से पहले
मैं
जिस पर सोया करता था नींद भर
एक
मेज थी तीन टाँगों वाली
विकलांग
होने पर मैने उसे ढ़केल दिया था -
अंधेरे
में- मुख्यधारा से बाहर -
दबे-कुचले
लोगों की तरह वह एक ओर पड़ी थी
चीखते-चिल्लाते
हुये अस्वीकृत समाज में
जरुरी
मानकर खरीदी गयीं
गैरजरुरी
किताबों का अम्बार मिला कबाड़ में
पिताजी
और माताजी की तस्वीरें मिलीं -
दीवारों
पर जगह न होने के कारण
हमने
उन्हें सहेज दिया था- कबाड़ में
हमारी
रंगीन दुनिया से दुःखी
दुर्भाग्य
से लड़ता हुआ कबाड़ में बरामद हुआ
परम्परावादी
एक ब्लैक एंड व्हाइट टीवी भी.
ढ़ेर
सारे बर्तन भी थे कबाड़ में
अमरत्व
पीकर पृथ्वी पर आसन जमाकर बैठे
प्लास्टिक
ने बेदखल कर दिया जिन्हें
पड़े
हुये थे-अस्वीकृत-बेजार !
एक
गुड़िया थी - एक गुड्डा भी
नककटा-
अंगभंग
लेकिन
उसकी हंसी में
अपना
बना लेने वाला जादू मौजूद था- अभी भी
साईकिल
जैसी एक साईकिल भी थी वहाँ
जिसपर
बैठकर मैंने कई बार किया था- अपनी
दुनिया
का सफर
शीशियाँ
थीं - बोतलें थी - मेरे होश खो देने के वक्त की
चश्मदीद
गवाह
डिब्बे
थे - कनस्तर थे - ढे़र सारे
बहुत
काम के थे सबके सब - सभी में रखी जा सकती
थीं
काम
की चीजें
लोगों
से मिले प्रेम-उपहारों के कबाड़ के नीचे
मिले
कई एक इस्तेमाल कियो गये - टूथब्रश
दाँतों
की चमक बरकरार रखने वाले ये औजार
मुझे
उपयोगी लगे- कुछ और चमकाने के लिये
कबाड़
मेरी पूँजी है
कभी
कबाड़ नही होता कबाड़
कबाड़
एक जिन्दा एहसास है-
हमारी गौरवमयी यात्रा का
सहेजो
! कबाड़ ज्यादा काम का है- नये के बरबस
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